Sunday 24 July 2011

रचनाकार ने हास्यकवि अलबेला खत्री,योगेन्द्र मौदगिल, गोविन्द राठी,जलाल मयकश और उर्मिला उर्मि की विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र में प्रस्तुति कराई




मानसून का भीना भीना मौसम 

विशाखापत्तनम  के प्राकृतिक सौन्दर्य  की छटा 

ऊपर से तापमान भी घटा 

ऐसे मस्त आलम में  गीतों की गुनगुनाहट हो जाय

शेरो-शायरी की जगमगाहट  हो जाय 

और  कभी ठहाके, कभी  मुस्कुराहट  हो जाय  

तो काम हसीन हो जाय  

औ शाम रंगीन हो जाय  


_____________________जी हाँ, यही हुआ था 11 जुलाई 2011   की शाम  



राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड  के  अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक 

श्री पी के  बिश्नोई  के मुख्य आतिथ्य में, विशाखापत्तणम  इस्पात संयंत्र  के 

हिंदी विभाग  द्वारा  एक 'रंगारंग हास्य कवि-सम्मेलन व  मुशायरा'  हुआ 

और ऐसा हुआ कि  बल्ले-बल्ले  हो गयी . 



रचनाकार साहित्य संस्थान-सूरत के लिए, लाफ़्टर चैम्पियन  हास्यकवि 

अलबेला खत्री  द्वारा  प्रस्तुत  इस ज़बरदस्त कार्यक्रम  के मुख्य संयोजक  

सहायक महाप्रबंधक  श्री ललन कुमार  और हिंदी कक्ष के श्री नीलू गोपाल 

ने आयोजन की सफलता हेतु  जो धुंआधार  प्रचार,  प्रसार  तथा अन्य 

तैयारियां की थीं  उनकी सारी थकान तब काफूर हो गयी जब  दर्शकों  से 

खचाखच  भरा उक्कु क्लब  का एम पी हॉल  आनंद  में गोते लगाने लगा 




सर्वप्रथम आमंत्रित  कवि/कवयित्री  का फूलों से  सम्मान हुआ 




श्री ललन कुमार  ने आयोजन की रूपरेखा  बताई तथा मुख्य अतिथि 

श्री  पी  के बिश्नोई, श्रीमती  बिश्नोई  समेत  समस्त उच्चाधिकारियों का  

शब्द-सुमनों से सम्मान किया  




श्री बिश्नोई  दम्पति  एवं कविजन ने  मंगलदीप प्रज्ज्वलित किया  यहाँ  

यह बताना  ज़रूरी है  दीप को, दीप से ही ज्योतित किया गया - जबकि 

आमतौर  पर  मोमबत्ती का  प्रयोग किया जाता है  











सुपरिचित मंच संचालक  अलबेला खत्री ने  अपना काम  शुरू किया  




अवधकुमारी सूरत निवासी  उर्मिला उर्मि ने  सरस्वती वन्दना की 



भोपाल के जलाल मयकश, उज्जैन के गोविन्द राठी, पानीपत के  

योगेन्द्र  मौदगिल  और सूरत  के अलबेला खत्री  ने  अपनी बातों से, 

गीतों - ग़ज़लों - छंदों और चुटकुलों से ऐसा समाँ बाँधा कि  तीन 

घंटे  कब बीत गए,पता ही नहीं चला  






सीएमडी श्री बिश्नोई जो केवल  आधे घंटे के लिए आये थे,  पूरे समय 

विराजमान रहे और समापन के  समय  कविजन  को विशेष उपहारों 

से सम्मानित  करने  के अलावा उर्मि के  काव्य-संग्रह " कुछ मासूम 

से पल "  को विमोचित  करके ही  प्रस्थान किया . 




अनेक  दर्शक जन  और  विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार  यह कवि-

सम्मेलन  अब तक का सर्वाधिक  सफल  कवि-सम्मेलन था . इस  

बात से मुझे बड़ी संतुष्टि मिली . वैसे इस सफलता में जितना 

योगदान कवियों का था, उतना ही दर्शकों का भी था . सचमुच 

ऐसे दर्शक, ऐसे  परिश्रमी  आयोजक और ऐसे शानदार  कवि हों  

तो फिर सफलता की  गारंटी तो है ही....हा हा हा हा हा  



जय हिन्द ! 



1 comment:

  1. अयोजकों व प्रतिभागियों को बहुत बहुत बधाईयाँ

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